गांव की यात्रा पर निबंध | Essay on Indian village in Hindi
महात्मा गांधी ने कहा था, कि भारत का असली स्वरूप गाँवों में बसता है. अतः गाँवों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास से ही भारत प्रगति कर सकता है. तथा सच्चे मायनों में तभी हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र कहलाएगे.
भारतीय गाँवों में सामाजिक सेवा जैसे गुण देखने को मिलते हैं, जो शहरी जीवन में नही है. हमे अपने गाँवों की ओर जाना चाहिए तथा ग्रामीणों के साथ अच्छे तालुकात रखने चाहिए, उनके साथ सहानुभूति रखनी चाहिए.
पिछली होली के त्यौहार के अवसर पर नूर नगर जों कि मेरे दोस्त का गाँव था. यात्रा पर गया था. गाँव का नजारा मेरे लिए अद्भुत था, चारों ओर हरियाली से भरे खेत और कही कही झौपड़ीयाँ नजर आ रही थी. गाँव में पीने के पानी के लिए लोग कुँए पर जाते है. जबकि कृषि कार्यों के लिए ट्यूबवेल खुदवाएं गये है.
मैंने गाँव में जाते ही उस टयूबवेल पर स्नान किया. आस-पास के खेतों में कुछ किसान पशुओं की चराई कर रहे थे. दूसरी तरफ कुछ लोग चौपाल (बैठक के लिए आम स्थान) में बैठकर हुक्का पीतें हुए बाते कर रहे थे.
इस गाँव में अधिकतर घर मिटटी के बने हुए कच्चें थे. हालांकि कुछ पक्के घर भी थे. गाँव में सड़के कच्ची थी. बेहद कम आबादी के इस खुले गाँव में मैंने कुछ दिन बहुत आनन्द के साथ गुजारे.
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